गुरुवार, २४ मार्च, २०११

रंग मुझ पर चढ़ गया

 हाथ में रंग कई लेकर चला,
जोश मे ...
"रंग दूंगा हर चेहरा जो हो
होश में ..."

शहर के हर गलीकी
खाक छानी ...
होशमे हो ऐसा मिला न
एक प्राणी ...
धर्म, पैसा, वासना, सत्ता
का मद ...
कोई नशा हर एक पर
था प्रगट...

हार कर पोछा पसीना
कपाल का
रंग मुझ पर चढ़ गया
इस काल का ...