बुधवार, ३ नोव्हेंबर, २०१०

दिपावलीकी शुभकामनाये



दीये दीये में रखी जो बाती,
सारी रात ज्योत जगाती ,
स्नेह की धारा रिश्तोंकी
जीवनभर का साथ निभाती।
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एक अदनासा सुर्ख पटाखा,
जलता, उड़ता, आकाश है छूता,
मनके अन्दर ऐसी प्रतिभा,
खिले, निखरे, तो जग है जीता।
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