ज़ख्म हरे करने का मौसम आया है
वहम को सच कहने का मौसम आया है। ..
दुवा ही दुवा अबतक देता रहा हूँ मैं
दिलों में दर्द पिरोने का मौसम आया है
इत्र फूलों का मिज़ाज बयाँ करता रहा
फ़क्र रंगों पर करने का मौसम आया है
पकड़ ऊँगली चलाया पढ़ाया लिखाया
उसी पे ऊँगली उठाने का मौसम आया है
निहत्थे मारे गये सियासत के हर दौर में
नाज़ कातिलों पे जताने का मौसम आया है
- श्रीधर जहागिरदार
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