मुठ्ठीसे रेतसा एक साल फिसल गया ।
जो कुछ चुभा हो, उसे छोड़ देना,
उस राह को इस वर्ष नया मोड़ देना।
उस साल की खुशबू दिलमें लिये
नये वर्ष में है फिर चल दिये।
हर साल रफ़्तार है और बढ़ रही,
मत सोच, था क्या गलत, क्या सही।
सोच इस वर्षका , होगा कितना अलग
तू समझ उसे और, हो जा सजग।
दिवार पर टंगा अब एक नया साल है,
अंतरमें उछला, फिर उमंगी गुलाल है॥
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